Wednesday, January 6, 2021
Wednesday, December 16, 2020
हिन्दी गजल
suresh nachij
ऐ मौत उन्हें भुलाए ज़माने गुज़र गए
आ जा कि ज़हर खाए ज़माने गुज़र गए
ओ जाने वाले! आ कि तेरे इंतज़ार में
रस्ते को घर बनाए ज़माने गुज़र गए
ग़म है न अब ख़ुशी है न उम्मीद है न यास
सब से नजात पाए ज़माने गुज़र गए
क्या लायक़-ए-सितम भी नहीं अब मैं दोस्तों
पत्थर भी घर में आए ज़माने गुज़र गए
जाने-बहार फूल नहीं आदमी हूँ मैं
आ जा कि मुस्कुराए ज़माने गुज़र गए
क्या-क्या तवक्कोअत थी आहों से ऐ 'ख़ुमार'
यह तीर भी चलाए ज़माने गुज़र गए
हर इक फ़ैसला उस ने बेहतर किया
मुझे आँख दी तुम को मंज़र दिया
Tuesday, April 21, 2020
Monday, April 20, 2020
Thursday, March 12, 2020
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